Friday, March 23, 2018

गायत्री यज्ञ का प्रदुषण प्रदुषण और पर्यावरण पर पर प्रभाव
ब्रह्वर्चस  सहित पुरे विश्व में पिछले ५०  वर्षो से यज्ञ पर शोध चल रही है। कई राज्यों में अश्वमेध यज्ञ के दौरान रिशर्च की गयी।  हमारे पास प्रमाण है की सल्फर डाइऑक्साइड व् नाइट्रोजन डाइऑक्साइड लगभग शून्य हो जाते है। हवा के बेक्टेरिआ व् सस्पेंडेड पार्टिकल्स अत्यंत कम या समाप्त हो जाते है। पानी के वाइरस जीरो हो जाते है। यज्ञ भष्म में भी फॉस्फोरस,मेग्नेशियम,केल्सियम इत्यादि पाए गए है जो ना केवल शारीरिक अपितु भूमि के स्वास्थ्य के लिए उत्तम होते है। मगर इसकी कुछ शर्ते है जैसे। .. यज्ञ में धुँआ कम से कम होना चाहिए। साथ में गाय का गोबर ,पीपल-वट -गुग्गुल-तुलसी जैसी समिधाये होनी चाहिए ,हवन सामिग्री शांतिकुंज या गायत्री तपोभूमि से निर्मित यानि की फ्रेश और शुद्ध होनी चाहिए। और सबसे बड़ी बात शुद्ध मनोभावना याजक की होनी चाहिए।
इसके आलावा यज्ञ के रेडिएसन व विद्युत चुंबकीय क्षेत्र पर भी प्रभाव होता है। जिसके ऊपर भी हमारी रिशर्च करने की इच्छा है अगर साधन मिले तो।
दिव्यदर्शन पुरोहित ,गुरुदेव वेधशाला,श्री गायत्री प्रज्ञापीठ,करेलीबग


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