Tuesday, July 1, 2025

Earth at Aphelion

Earth at Aphelion: पुत्री होगी अपने पिता से दूर।  
जैसा की हम जानते है पृथ्वी अपनी "ओवल" अर्थात अंडाकार भ्रमण कक्षा में सूर्य की प्रदक्षिणा करती रहती है। जिसके कारण आगामी गुरुवार और 3/4 जुलाई 2025 को रात्रि १:२४ पर वे सूर्य से सबसे दूर के बिंदु पर पहुंचेगी। उस समय पुत्री अपने पिता से 15 करोड़ 20 लाख किमी दूर होगी। अर्थात औसतन से 20 लाख और सबसे नजदीकी बिंदु से 50 लाख किमी दूर होगी।फिर भी हमारे यहाँ अभी भी गरमी होगी। सोचो ऐसा क्यों? अद्भुत है ना ब्रह्माण्ड !!!  
प्रस्तुति : #gurudevobservatory  http://www.gurudevobservatory.co.in/

Monday, June 30, 2025

वेद विज्ञान : भाग २

वेद विज्ञान :part-2:
 ईश्वरप्रदत्त आदि ग्रंथ ज्ञान के महासागर वेदों में ,अध्यात्म वैज्ञानिक, मंत्रदृष्टा ऋषियों ने सृष्टि का श्रेष्ठतम विज्ञान प्रस्तुत कर दिया है l यथा आधुनिक विज्ञान ब्रह्मांड के बारे में अत्यधिक जानता है l 13.7  अरब साल पहले जन्मा यह वर्तमान ब्रह्मांड अब तक फैलता ही चला जा रहा है और  93 अरब प्रकाश वर्ष  जितना फैल चुका है !!! परंतु विज्ञान ब्रह्मांड को चलाने वाली ऊर्जा के बारे में अभी तक खोज नहीं कर सका है l क्योंकि चेतना तक पहुंचना यंत्रों से संभव नहीं है l
 पर वेदों में इनका स्पष्ट उल्लेख मंत्र में कर दिया गया है l "अखंडमंडलाकारं व्याप्तं येन चराचरम् " मंत्र में वेद भगवान ने कहा है कि बिग बैंग की ,महाविस्फोट की घटना के बाद उत्पन्न हुई अखंड वलयआकार चेतना, ऊर्जा, संपूर्ण विश्व का पालन -पोषण और संचालन करती हैं l कह सकते हैं कि  विश्व को संचालित करने वाली  वर्तमान चार महाउर्जा  के ऊपर  यह सर्वप्रमुख चैतन्य उर्जा है  जिसे और थोड़े वैज्ञानिक प्रयासों से जाना जा सकता है l
 ऑप्टिकल फाइबर के नेटवर्क में इलेक्ट्रॉन के संपर्क में आते ही सेकेंडों में कहीं का कहीं मैसेज पहुंच जाता है ,उसी तरह अगर इस वलय आकार चेतना से संपर्क स्थापित किया जा सकता है तो, तत्क्षण ब्रह्म ज्ञान हो सकता है और परब्रह्म तक पहुंचा जा सकता है l 
आओ वेद भगवान को प्रार्थना करें ,हमें भी वह ज्ञान प्रदान करें और वेद विज्ञान को विश्वव्यापी बनाने की सामर्थ्य प्रदान करें l 
Image credit: NASA, ESA,ESO, HST,STSCI
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July Night Sky

जुलाई की रात्रि का आकाश: मोबाइल को सिर के एक फिट ऊपर इस तरह रखे की उत्तर लिखी हुई बाजू उत्तर की और इंगित करे। अब आपकी सामने आपके वहां का रात्रि आकाश है।चंद्रमा अलग अलग समय पर विभिन्न ग्रहों से युति बनायेगा। 29 से 31 तक कुंभ की उल्कावर्षा होगी।पर यह सब बादल न होने पर ही दिखेगा। कुछ समझ न आए तो गुरुदेव वेधशाला अथवा नजदीकी विज्ञान केंद्र का संपर्क करें। इसे स्वयं देखे और बच्चो को,अन्यो को दिखाए,अपनी सोशल साइट पर फॉरवर्ड करें क्योंकि आसमान तनाव हर लेता है।
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Sunday, June 29, 2025

OMG

विज्ञान का अद्यतन अविष्कार बता रहा है की मानव पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र को और उसमे आये बदलाव को देख/समज सकता है। मानव के रेटिना का एक प्रोटीन व कुछ सेल्स इनके लिए जिम्मेदार है। इसका मतलब है की सूर्य साधना की मदद से सूर्य के प्रत्येक चुंबकीय बदलाव के कारण पृथ्वी के मेग्नेटिक फिल्ड में होने वाले परिवर्तन को देखा जा सकता है। जिससे व्यक्ति सहज ही भविष्यदृष्टा हो जाता है । और गुरुदेव वेधशाला की मान्यता तो यह भी है की सामूहिक साधना से इस मेग्नेटिक फिल्ड को बदला भी जा सकता है। 
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World Asteroid Day

Best wishes for "World Asteroid Day " : पृथ्वी और उनके जीवन के लिए लिए सदैव खतरनाक रहे लघुग्रह के ऊपर जनचेतना जगाने ,लघुग्रह से बचने के  मार्ग खोजने के लिए पूरा विश्व आज एकजुट होकर 
 " विश्व क्षुद्रग्रह दिवस " मना रहा है। आशा रखे की इसकी फलदायी उपलब्धियां जल्दी ही सामने आये।
 Image credit : ESA https://www.facebook.com/share/v/1FA1vjDkRV/
https://youtu.be/W1Tcg7tzsZY
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Saturday, June 28, 2025

सर्वोच्च

वेद विज्ञान : वेद ऋचा के दर्शक ऋषि अध्यात्म वैज्ञानिक थे l उनके प्रत्येक मंत्र में दर्शन व विज्ञान छुपा हुआ था ,यथा विश्व विख्यात शांति मंत्र ओम द्यौः शांति...... को देखें l उसमें शुरुआत में ब्रह्मांड यानी स्पेस की शांति के बाद अंतरिक्ष की शांति मांगी गई है l हजारों साल पूर्व से ऋषि जानते थे अंतरिक्ष यानी पृथ्वी का वातावरण है l पर्यावरण की शांति के साथ वह आगे पृथ्वी ,वनस्पति, जल ,औषधि के साथ विश्वदेव यानी कि ब्रह्मांड को चलाने वाली अनेकविध ऊर्जाओं को शांत होने की प्रार्थना करते हैं l यानी वे कॉस्मिक रेज़ ,ऊर्जाओं को भी जानते थे l अंत में वह स्वयं परब्रह्म को भी शांत स्थिर होने की प्रार्थना करते है l यह केवल ऋषि ही कर सकते है l और सर्वांत में शांति भी, मंगलमय शांति हो ऐसा कहकर दर्शन शास्त्र की सर्वोच्च स्थिति दर्शाते हैं l भूल केवल हमसे ही हुई हैं कि हम वेद के इस विज्ञान को पूरे विश्व के सामने प्रस्तुत ही नहीं कर पाए l जिसके चलते  पाश्चात्य के 500 -1000 साल पहले हुए वैज्ञानिकों का नाम गर्व से बोला जाता है और ऋषि परंपरा को विस्मृत कर दिया गया है lआओ शपथ उठाएं की वेद विज्ञान को फिर से विश्वव्यापी बनाएंगे l image credit : NASA, ESA, ESO, HST
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https://youtu.be/TRIllHQ6wGA?si=4ZrxG1psFq0hdSRE