Thursday, December 11, 2025

उपग्रह दिखेंगे

स्टारलिंक सैटेलाइट: वडोदरा शहर में 16 दिसंबर 2025 को शाम 6:13 को 4 मिनट के लिए दक्षिण पश्चिम से उत्तर पूर्व की ओर जाते हुए दिखाई देंगे।10 डिग्री से शुरू होंगे, 51 डिग्री महत्तम हाइट पर पहुंचेंगे जहां पर वह बढ़िया दिखेंगे और फिर वापस 10 डिग्री पर अस्त हो जाएंगे।  3.2 मेग्नीट्यूड रहेगा। हो सकता है एक सैटेलाइट दिखे या पूरी चैन भी दिखे। इसमें 10 मिनट आगे पीछे भी हो सकता है। और बादल एवं सूर्य प्रकाश पर पूरा दर्शन निर्भर है।मगर प्रयास करें। संभावना है की इसी जगह दो घंटे बाद वे वापिस भी दिखे। सैटेलाइट को देखने का एक बहुत अच्छा मौका बरोडियन के लिए है। यह दृश्य १०० किमी तक दिखेगा।
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Tuesday, December 9, 2025

उल्का वर्षा

Geminid meteor shower : टूटते तारे दिखाई देंगे । रोकी कॉमेंट की धूल से पैदा होने वाली , वर्ष 2025 की अंतिम और श्रेष्ठ मिथुन की उल्कावर्षा 13 और 14 की मध्य रात्रि में मिथुन राशि के पास से होती देखना ना भूलें l रात्रि  10 बजे के बाद उदित चंद्र की रोशनी के बावजूद अच्छी मात्रा में यह  वर्षा दिखाई देगी l उसे पूर्व से पश्चिम की और चलती मिथुन राशि के प्रकृति तारे के पास देखा जा सकता है । सर्व श्रेष्ठ समय है मध्य रात्रि से सुबह पांच बजे तक।
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गाय के गोबर की महाशक्ति: वेदभागवान ने गाय के गोबर को अत्यंत महत्वपूर्ण बताया है। अब विज्ञान भी कहता है। जापान ने गाय के गोबर से बायो मिथेन निकाला है उससे आसमान में जाने वाले रॉकेट का ईंधन बनाया है। यह एक ऐसी क्रांतिकारी खोज है जिसने एक साथ कईं संभावनाओं के द्वार खोल दिए है। सोचो कौन से वो द्वार है ? प्रस्तुति: #gurudevobservatory https://www.gurudevobservatory.co.in/

गाय के गोबर की महाशक्ति: वेदभागवान ने गाय के गोबर को अत्यंत महत्वपूर्ण बताया है। अब विज्ञान भी कहता है। जापान ने गाय के गोबर से बायो मिथेन निकाला है उससे आसमान में जाने वाले रॉकेट का ईंधन बनाया है। यह एक ऐसी क्रांतिकारी खोज है जिसने एक साथ कईं संभावनाओं के द्वार खोल दिए है। सोचो कौन से वो द्वार है ? प्रस्तुति: #gurudevobservatory 
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Sunday, December 7, 2025

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दिव्य नर्तन

आज ७/१२/२५ की रात्रि पर मार्गशीर्ष/पौष कृष्ण चतुर्थी के चंद्रमा और गुरुग्रह ने आसमान के ज़रोखे में केवल ढाई डिग्री की मनमोहक युति बनाई। उसके दक्षिण की ओर मृगशीर्ष नक्षत्र, ऊपर की ओर स्वाति एवं चित्रा नक्षत्र चमक रहे थे।जिसको गुरुदेव वेधशाला से चित्रांकित किया गया।
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Saturday, December 6, 2025

यज्ञ : एक अमोघ उपचार

क्लाइमेट चेंज को समाप्त करने का एकमात्र अमोघ उपचार :
 मनुष्य की सुख पाने की अंधी दौड़ से पैदा हुई क्लाइमेट चेंज विश्व को समाप्ति के कगार पर ली गई है l लिख लीजिए कि अगर अब भी हमने कुछ नहीं किया तो इस सदी के अंत तक पूर्ण सजीव सृष्टी व वसुंधरा का निर्मम अंत  हो जाएगा l इस युग के इस सबसे बड़े राक्षस को खत्म करने के लिए अब हमारे पास एकमात्र उपचार रह गया है l वह अमोघ हैl अगर यह भी हमने नहीं किया तो अब हमें समाप्त होने से और कोई नहीं रोक सकता  ,स्वयं ईश्वर भी नहीं l यह स्वयंसिद्ध उपचार भी  स्वयं  वेद भगवान ने बताया है l और वह है : नित्य यज्ञ l वेदों में स्पष्ट रूप से  सैकड़ों ऋचाओं में  बताया गया है कि यज्ञ के द्वारा : प्रकृति शुद्ध होती है ,उसे पोषण मिलता है ,वृक्ष को पोषित किया जाता है ,प्रदूषण को नष्ट किया जाता है ,शक्ति का संवर्धन एवं बहुलीकरण होता है, फोटोसिंथेसिस प्रक्रिया शक्तिमान-ऊर्जावान हो जाती है, प्रकृति शांत और संतुलित होती है, सूर्य किरणों के साथ में यज्ञ ऊर्जा मिल कर के वसुंधरा और उसके ऊपर के चुंबकीय आवरण तक फैल जाती है -जिससे आयन मंडल ,चुंबकीय आवरण और वातावरण तीनों वापस सक्षम हो जाते हैं ,ओजोन लेयर वापिस बनता है ,कार्बन खत्म होते हुए ऑक्सीजन की मात्रा संतुलित हो जाती है , परक्यूलेट मैटर- प्रदूषण जीरो हो जाते हैं , पेयजल पूर्ण रूप से शुद्ध हो जाता है l यज्ञ ऊर्जा अन्यान्य ऊर्जा यथा इंद्र, पूषा, मित्र ,वरुण ,मरुत, सूर्य, चंद्र उषा ,भग, अग्नि को और भी ऊर्जावान बना देती है , जिसके चलते जड़ - चेतन दोनों पदार्थों में संतुलन पैदा हो जाता हैl यज्ञ के अलावा प्रकृति को संतुलित और शांत करने का और कोई भी उपचार अब शेष नहीं रहा है l विज्ञान के पास भी अब  इस क्षेत्र में कोई उपचार शेष नहीं रहा है l 
वेद काल में तीनों सवनो में यानी प्रातः ,मध्यान्ह एवं सायं काल में यज्ञ हुआ करते थे l आज हम एक समय भी नहीं कर पा रहे हैं l उस समय का पापुलेशन और पॉल्यूशन बहुत कम था फिर भी तीन समय यज्ञ होता था l आज हमारे युग में पॉपुलेशन ऑफ पोलूशन उस समय से लाखों गुना बढ़ गया है और यज्ञ लगभग नहीं के बराबर होता है ,तो प्रकृति माता शांत कैसे होगी ? अगर माता वसुंधरा को बचाना है तो परमेश्वर प्रदत वेद के इस एकमात्र उपचार, यज्ञ को हमें नित्य प्रति सघन प्रयोग के  रूप में अपनाना ही पड़ेगा l न्यूनतम 1 करोड़  घरों में  नित्य यज्ञ करने ही पड़ेंगे l 
हमारे पास दो ही रास्ते हैं यज्ञ या अंत l किसे चुनना वह हम और हमारी प्रज्ञा पर निर्भर है l करें या मरे l अभी या कभी नहीं l दिव्यदर्शन पुरोहित ,गुरुदेव ऑब्जर्वेटरी ,गायत्री प्रज्ञापीठ, कारलीबाग ,वडोदरा l 
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