ऊर्जा समुच्चय रूपी चैतन्य परमाणु परब्रह्म में हुई हलचल से हुआ big bang सृष्टि का प्रथम यज्ञ था। उस महा विस्फोट से हुआ सृष्टि का प्रसव और अब तक चल रहा प्रसरण सृष्टि का दूसरा विराट यज्ञ है। पृथ्वी पर वेद काल से चल रहा अग्निहोत्र इस श्रृंखला का तीसरा यज्ञ हैl वेदों में बारम्बार प्रतिदिन तीन सवनो में यज्ञ करने, का उल्लेख हुआ है। यज्ञ से ही देवता रूपी ब्रह्माण्डीय ऊर्जा स्त्रोतों यथा इन्द्र, सोम ,पूषा, अर्यमा ,भग , elementary particles, चारों fundamental forces को बल मिलता है। यज्ञ करने वाले के परिवार में सुख, शांति समृद्धि बनी रहती हैंl शारीरिक, मानसिक आरोग्य प्राप्त होता है l भूत -ग्रह-पितृ दोष दूर होते हैं, आर्थिक परिस्थिति सुदृढ़ होती हैं। अन्न- जल बने रहते है l ऋतु चक्र ठीक होता है, प्रदुषण दूर होकर हवा विशुद्ध होती है। प्रज्ञा अनायास ही प्राप्त होती है और भविष्य उज्ज्वल बनता है। और एक समय पर एक साथ किये गये यज्ञ युग बदल देने मे सक्षम होते है l आओ हम सब मिलकर "गृहे- गृहे गायत्री यज्ञ अभियान" का एक अटूट हिस्सा बने, और न केवल एक दिन अपितु सदा के लिए यज्ञ को हमारे दैनिक कार्य में स्थान दे l दिव्यदर्शन पुरोहित l gurudevobservatory.co.in




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