No "Earth day" but "Earth life" : क्या माता की जरूरत हमें एक दिन के लिए ही है ? पर्यावरण की अग्रिमता को समझते हुए 1970 में 22 अप्रैल को विश्व पृथ्वी दिवस मनाना शुरू हुआ, जिसमे आज विश्व के 192 देशों के एक अरब से ज्यादा लोग भाग लेते है। इस वर्ष "प्लेनेट विरुद्ध प्लास्टिक" की थीम है। पर हम भारतीय तो वेद की संताने है, प्रकृति पूजक है। धरती को हम माता मानते है। क्या उसकी पूजा वर्ष में केवल एक ही दिन करेंगे और बाकी के दिवस जमकर माता की धुलाई ? क्या यह पाप नहीं ? क्या जवाब देंगे ईश्वर को? तो आओ "पृथ्वी दिवस" नहीं अपितु "पृथ्वी जीवन" मनाए । चित्र (C) : NASA,
प्रस्तुति: #gurudevobservatory
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