Sunday, July 30, 2017

चंद्र ग्रहण और श्रावणी पर्व
देव संस्कृति को विश्व व्यापी बनाने वाले सनातन धर्म के मूल ग्रंथ है वेद lउसके बाद आते हैं उपनिषद एवं पुराण l जिसको ईश्वरप्रदत्त माना गया है और संपूर्ण वैज्ञानिक है lउसमे कहीं भी ग्रहण के बारे में अथवा उसके साथ में जुड़ी अंधश्रद्धा के बारे में कहा नहीं गया है lजो भी उल्लेख वर्तमान में किया जाता है वह सभी ग्रंथ केवल 500 से 1000 साल पूर्व  अंधकार युग में तलवारों के जोर पर लिखवाए गए थे l जो बिल्कुल अवैज्ञानिक है इसके पीछे कोई भी ऋषि ओ का बल नहीं है ना ही ऋषि दृष्टि lसूर्य ग्रहण या चंद्र ग्रहण केवल आसमानी पदार्थों की गति के कारण कुछ क्षण या मिनिट्स के लिए होते हैं  और जो सापेक्ष हैं l नासा , ईशा , इसरो एवं अन्य सभी एजेंसी द्वारा किए गए ग्रहण परीक्षणों में कहीं भी बैक्टीरिया वायरस दिखाई देने की पुष्टि नहीं हुई है l हमने स्वयं गुरुदेव ऑब्जर्वेटरी के द्वारा  इस प्रकार के 7 प्रयोग किए हैं l जिसकी पूर्ण फलश्रुति हमारे पास में है जिसमें ग्रहण से कहीं कोई विकार पैदा होता देखा नहीं गया हैl कालगणना यानी कि कैलेंडर हम मानव ने बनाए हैं ईश्वर ने नहीं और सभी के अपने संप्रदाय के हिसाब से अलग-अलग हैंl ब्रह्मांड में तो स्पेस और समय है ही नहीं ना ही दिशा है lवहां है तो केवल विराट है और पृथ्वी इसी विराट में समाई हुई है lसामान्य शब्दों में कहें तो  ईश्वर की बनाई सृष्टि के हर क्षण श्रेष्ठ हैं lकिसी को बुरा कहना स्वयं ईश्वर की अवहेलना करना है lअगर समय देखना ही है तो  बुरे कार्य करते समय देखना चाहिए lअच्छे कार्यों के लिए तो हर समय हर क्षण श्रेष्ठतम ही है lशायद इसी शुकन अपशुकन ने सोमनाथ मंदिर को बार-बार आहत करवाया था क्योंकि हर बार योद्धा शुकन देखते हुए रह गया था lआज अंतरिक्ष युग में इस प्रकार की दकियानुसी अंधश्रद्धा वाली बातों के साथ में जुड़े रहना बिल्कुल अवैज्ञानिक है जो हमारे पिछड़ेपन का एक उदाहरण है l और अगर हम इससे बाहर नहीं आए तो हम कभी भी अमेरिका -जापान से आगे नहीं पहुंच पाएंगे lतो निश्चिंत हो करके युग ऋषि पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य जी के वैज्ञानिक अध्यात्मवाद  को मानते हुए उनके क्रांतिकारी विचारों का अनुसरण करते हुए श्रावणी उपाकर्म को यथा समय ही संपन्न करें l उसमें कोई दोष ना तो धार्मिक रूप से हैं ना ही वैज्ञानिक रूप से हैं l ना तो इससे कोई शारीरिक मानसिक हानि होती है l बिल्कुल निश्चिंत रहें l दिव्य दर्शन पुरोहित ,गुरुदेव ऑब्जर्वेटरी, गायत्री प्रज्ञापीठ ,करेली बाग ,बड़ोदरा l


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