वेद विज्ञान :part-2:
ईश्वरप्रदत्त आदि ग्रंथ ज्ञान के महासागर वेदों में ,अध्यात्म वैज्ञानिक, मंत्रदृष्टा ऋषियों ने सृष्टि का श्रेष्ठतम विज्ञान प्रस्तुत कर दिया है l यथा आधुनिक विज्ञान ब्रह्मांड के बारे में अत्यधिक जानता है l 13.7 अरब साल पहले जन्मा यह वर्तमान ब्रह्मांड अब तक फैलता ही चला जा रहा है और 47 अरब प्रकाश वर्ष जितना फैल चुका है !!! परंतु विज्ञान ब्रह्मांड को चलाने वाली ऊर्जा के बारे में अभी तक खोज नहीं कर सका है l क्योंकि चेतना तक पहुंचना यंत्रों से संभव नहीं है l
पर वेदों में इनका स्पष्ट उल्लेख मंत्र में कर दिया गया है l "अखंडमंडलाकारं व्याप्तं येन चराचरम् " मंत्र में वेद भगवान ने कहा है कि बिग बैंग की ,महाविस्फोट की घटना के बाद उत्पन्न हुई अखंड वलयआकार चेतना, ऊर्जा, संपूर्ण विश्व का पालन -पोषण और संचालन करती हैं l कह सकते हैं कि विश्व को संचालित करने वाली वर्तमान चार महाउर्जा के ऊपर यह सर्वप्रमुख चैतन्य उर्जा है जिसे और थोड़े वैज्ञानिक प्रयासों से जाना जा सकता है l
ऑप्टिकल फाइबर के नेटवर्क में इलेक्ट्रॉन के संपर्क में आते ही सेकेंडों में कहीं का कहीं मैसेज पहुंच जाता है ,उसी तरह अगर इस वलय आकार चेतना से संपर्क स्थापित किया जा सकता है तो, तत्क्षण ब्रह्म ज्ञान हो सकता है और परब्रह्म तक पहुंचा जा सकता है l
आओ वेद भगवान को प्रार्थना करें ,हमें भी वह ज्ञान प्रदान करें और वेद विज्ञान को विश्वव्यापी बनाने की सामर्थ्य प्रदान करें l दिव्यदर्शन पुरोहित ,गुरुदेव ऑब्जर्वेटरी ,गायत्री प्रज्ञापीठ, करेली बाग ,बड़ोदरा l
Image credit: NASA, ESA,ESO, HST,STSCI
ईश्वरप्रदत्त आदि ग्रंथ ज्ञान के महासागर वेदों में ,अध्यात्म वैज्ञानिक, मंत्रदृष्टा ऋषियों ने सृष्टि का श्रेष्ठतम विज्ञान प्रस्तुत कर दिया है l यथा आधुनिक विज्ञान ब्रह्मांड के बारे में अत्यधिक जानता है l 13.7 अरब साल पहले जन्मा यह वर्तमान ब्रह्मांड अब तक फैलता ही चला जा रहा है और 47 अरब प्रकाश वर्ष जितना फैल चुका है !!! परंतु विज्ञान ब्रह्मांड को चलाने वाली ऊर्जा के बारे में अभी तक खोज नहीं कर सका है l क्योंकि चेतना तक पहुंचना यंत्रों से संभव नहीं है l
पर वेदों में इनका स्पष्ट उल्लेख मंत्र में कर दिया गया है l "अखंडमंडलाकारं व्याप्तं येन चराचरम् " मंत्र में वेद भगवान ने कहा है कि बिग बैंग की ,महाविस्फोट की घटना के बाद उत्पन्न हुई अखंड वलयआकार चेतना, ऊर्जा, संपूर्ण विश्व का पालन -पोषण और संचालन करती हैं l कह सकते हैं कि विश्व को संचालित करने वाली वर्तमान चार महाउर्जा के ऊपर यह सर्वप्रमुख चैतन्य उर्जा है जिसे और थोड़े वैज्ञानिक प्रयासों से जाना जा सकता है l
ऑप्टिकल फाइबर के नेटवर्क में इलेक्ट्रॉन के संपर्क में आते ही सेकेंडों में कहीं का कहीं मैसेज पहुंच जाता है ,उसी तरह अगर इस वलय आकार चेतना से संपर्क स्थापित किया जा सकता है तो, तत्क्षण ब्रह्म ज्ञान हो सकता है और परब्रह्म तक पहुंचा जा सकता है l
आओ वेद भगवान को प्रार्थना करें ,हमें भी वह ज्ञान प्रदान करें और वेद विज्ञान को विश्वव्यापी बनाने की सामर्थ्य प्रदान करें l दिव्यदर्शन पुरोहित ,गुरुदेव ऑब्जर्वेटरी ,गायत्री प्रज्ञापीठ, करेली बाग ,बड़ोदरा l
Image credit: NASA, ESA,ESO, HST,STSCI
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