वेद में बार बार उल्लेख आता है की सूर्य जगत और जीवन की आत्मा है। अब तक उसको कतिपय क्षेत्रो में विज्ञान प्रूव कर चुका है। परन्तु वर्तमान में एक नयी शोध उजागर हुयी है जो जीवन के मूलतत्वों के लिए सूर्य को जिम्मेदार मानती है।पुरे विश्व में केवल पृथ्वी पर हि अब तक ऐसा वातावरण पाया गया है जहा जीवन पनप सके। जीवन के लिए बेस है वातावरण। कुछ ऐसा हुआ की पृथ्वी के जन्म के 3 अरब साल बाद सूर्य के किरणों की फोटोसिंथेटिक सिस्टम इवॉल्व हुयी और उसने अत्यंत घनीभूत कार्बन डाईऑक्साइड और पानी को शुगर व ऑक्सीजन में परिवर्तित कर दिया ताकि जीवन के मोइकयुलस अपनी साँस ले सके। अगर ऐसा न होता तो पृथ्वी पर जीवन संभव ही नहीं था। ऋषियों ने यह अरबो वर्ष पूर्व की बात कैसे ज्ञात की होगी ? मगर हम है की उसी सूर्य नारायण ने दिया ऑक्सीजन वापिस कार्बन में अंधाधुंध बदल रहे है। क्या यह हमारे जन्मदाता का अपमान नहीं है ? आओ एक हो कर ख़त्म करे क्लाइमेट चेंज को। अभी या कभी नहीं। करे या मरे। दिव्यदर्शन पुरोहित #gurudevobservatory.co.in
Image credit: ESA,NASA,ISS
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